ईश्वर की सर्वोपरि रचना (कविता) स्वैच्छिक प्रतियोगिता हेतु-20-Feb-2024
दिनांक- 20,02,2004 दिवस- मंगलवार विषय-इश्वर की सर्वोपरि रचना स्वैच्छिक प्रतियोगिता हेतु
ईश की रचना में है ऊपर, सुनो ए बच्चों !मानव। मानव बन कर रहना सीखें, कभी बनें ना दानव।
गुण इसमें हैं अनंत समाए, संग में सूझ व बूझ। इस गुण के कारण ही हम, बन सकते हैं प्रत्यूष।
साहस, धैर्य ,कर्मशीलता, ईश्वर गुण हैं प्रदत। सदुपयोग करे इसका नर, ना होवे कभी ध्वस्त।
स्व-विवेक को ज्यों नर भूले, घेरे कुंठा- निराशा। आत्मविश्वास है नष्ट हो जाता, मर जाए हर अभिलाषा।
निराशा सम अभिशाप न दूजा , आशा सम वरदान। आशा का दामन कभी न छूटे, जीवन भर रख लो ध्यान।
सद्भभावों से मन तुम भर लो, दृढ़ संकल्प हो जाओ। आत्मविश्वास को मीत बना लो, हर लक्ष्य को तुम पा जाओ।
साधना शाही वाराणसी
नंदिता राय
21-Feb-2024 11:53 PM
Nice
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Shnaya
21-Feb-2024 01:07 PM
Nice one
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Mohammed urooj khan
21-Feb-2024 12:24 PM
👌🏾👌🏾👌🏾
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